खो-खो (Kho-Kho) का खेल इतिहास , नियम- , खेल का मैदान, अंपायर एवं रैफरी


 खो-खो (Kho-Kho) का खेल इतिहास  नियम- , खेल का मैदान, अंपायर एवं रैफरी


खो-खो (Kho-Kho) का खेल इतिहास


खो खो खेल की शुरुआत भारत में हुई थी इसे प्रारंभ में पुणे के गांवों में खेला जाता था इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ती गई कि सन 1957 में ऑल इंडिया खो-खो फेडरेशन की स्थापना की गई और साथ ही कुछ समय के पश्चात 1960 1960 में खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना की गई


1960 में प्रथम राष्ट्रीय चैंपियनशिप पुरुष का आयोजन किया गया इसके उपरांत में सन 1961 में महिलाओं की खो-खो चैंपियनशिप आयोजित की गई


1982 में एशियन खेलों में खो खो का प्रदर्शन मैच खेला गया परंतु अभी तक इस खेल को एशियन खेलों में सम्मिलित नहीं किया गया है सन 1985 में फर्स्ट नेशनल गेम्स में इसे सम्मिलित किया गया












खेल


यह खेल दो टीमों के मध्य खेला जाता है प्रत्येक टीम में 9-9 खिलाड़ी खेलते हैं  तीन अन्य खिलाड़ी होते हैं यह खेल चार पारियों में खेला जाता है प्रत्येक पारी में 7 - 7 मिनट का खेल होता है प्रत्येक टीम दो पारी में बैठती है दो पारी में भागती है

बैठने वाली टीम के खिलाड़ियों को मेजर वे भागने वाले टीम के खिलाड़ी को रनर कहा जाता है


प्रारंभ में तीन खिलाड़ी भागते रनल होते हैं उनके आउट होने के पश्चात 3 फिर आते हैं


मेजर खिलाड़ी में से नवा 9  खिलाड़ी खड़ा होकर रनर खिलाड़ी को पकड़ने का प्रयास करता है नियम अनुसार अन्य मेजर खिलाड़ी में से सहायता लेता है


किस में बैठा हुआ खिलाड़ी को खो देने पर वह जनरल को पकड़ने के लिए उठता है वह नियम अनुसार सीधा लाइन में दौड़ता है वह उस मेजर खिलाड़ी का स्थान प्रथम वेदर खिलाड़ी ले लेता है


मेजर खिलाड़ी को एक रनर को आउट करने पर 1 अंक प्राप्त होता है


यदि सभी रनर्स समय से पहले ही आउट हो जाते हैं तो उन्हें मेजर खिलाड़ियों का स्थान लेना होता है


अधिक अंक प्राप्त करने वाली टीम विजेता घोषित की जाती है



खेल के मुख्य नियम



- बैठने दौड़ने का निर्णय तो उस द्वारा होता है


- खेल के सभी मैदान की रेखाएं साफ-सुथरी बनी होनी चाहिए


- बैठने वाली टीम के खिलाड़ी नंबर 1, 3, 5, 7 कामों एक तरफ होता है वे खिलाड़ी नंबर 2 4 6 8 का मुंह दूसरी तरफ होता है


- बैठने वाली टीम के खिलाड़ी को अपनी रेखाओं के अंदर ही बैठना होता है जिससे रनर रोको कोई अवरोध पैदा ना हो


- मेजर खिलाड़ी बैठे हुए खिलाड़ी के पीछे से तेज आवाज में खो देते हैं इसके पश्चात पहला मेजर खिलाड़ी उस बैठे    हो मेजर खिलाड़ी का स्थान को ज्ञान कर लेता है पर बैठा हुआ खिलाड़ी रिंोरो को पकड़ने के लिए उठ जाता है


- को लेने के पश्चात दी मेजर खिलाड़ी सेंट्रल लाइन को क्रॉस करता है तो वह फूल माना जाता है


- मेजर खिलाड़ी को लेने के पश्चात जिस दिशा की ओर दौड़ने का चुनाव करता है वह केवल उसी दिशा में दौड़ सकता है जब तक वह पॉल को पार ना कर दे


- रनर सर सीमा से बाहर आ सकता है


- कोई भी रनर बैठे हुए मेजर खिलाड़ी को छू नहीं सकता


- बैनर के दोनों पाओगे दी सीमा के बाहर चले जाते हैं तो वह आउट माना जाता है


एंपायर


खो खो खेल में दो एंपायर होते हैं जो लोबी के बाहर खड़े होकर मैच का संचालन करते हैं वह एक अन्य अंपाठ जो उनकी सहायता करता है एंपायर द्वारा खेल के नियमों का उल्लंघन करने पर खिलाड़ी को दंड देने का अधिकार होता है


इसको एवं टाइम कीपर


टाइम कीपर खिलाड़ी के समय का रिकॉर्ड रखता है सीटी बजा कर खेल का आरंभ में समाप्ति का आदेश देता है


इसको रबारी के अंको का हिसाब रखता है वह परिणाम से पूर्व इसको सीट रेफ्रिको देता है


परिणाम


यदि मैच के अंत में दोनों टीमों का स्कोर बराबर होता है तो उस दिशा में एक मेजर 1 रन अकेले मैच खेला जाता है यदि फिर भी स्कोर बराबर रहे तो टाईब्रेकर का सहारा लिया जाता


खो खो खेल का मैदान


- खो खो खेल का मैदान आयताकार होता है


- खो खो खेल के मैदान 29 मीटर लंबा होता है


- खो खो खेल के मैदान की चौड़ाई 16 मीटर होती है


- खो खो खेल में खिलाड़ी की संख्या 9 + 3 होती है


- खो खो खेल में दो बारी चार बार खेली जाती है


- खो खो खेल में वर्गों की संख्या आठ होती है


- खो खो खेल का मध्यांतर 5 मिनट का होता है


- 30 ×30 सेंटीमीटर के 8 वर्ग होते हैं


- स्तंभ जमीन से 1.20 मीटर ऊंचा होता है


- चेज़र- विरोधी खिलाड़ी को छूने के लिए दौड़ने वाला   खिलाड़ी एक्टिव चेज़र कहलाता है


- रनर- चेज़र के विरोधी खिलाड़ी को रनर कहा जाता है





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