सीखने के नियम (Rule of Learning) का अर्थ और परिभाषा


 

सीखने के नियम(Rule of Learning)  का अर्थ और परिभाषा



तैयारी का नियम (Rule of Practice) 


व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए तैयार रहता है तो वह ज्यादा तेजी में प्रभावी तरीके से सीखने में सक्षम होता है वहीं दूसरी और अगर हमारा मन किसी कार्य को करने हेतु तैयार नहीं है मजबूरी बस किसी कार्य को कर रहे हैं तब उस कार्य के अंतर्गत हमें सफलता मिलने मिलने की संभावना कम है हम उस कार्य को भी अच्छे तौर पर नहीं सीख पाएंगे


मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से जब हम किसी कार्य अपने मन से करते हैं तो उसमें अच्छा प्रदर्शन व प्रकार से कार्य होने के लिए सक्षम होते हैं



अभ्यास का नियम ( Rule of Training) 


जब किसी क्रिया को बार-बार दोहरा कर उसका अभ्यास करते हैं तो हम उस स्थिति में फिर भी रूप से उसका क्रिया को सीखते हैं कार्य को करते समय ही ठीक प्रकार से उस कार्य को सीख सकता है समझ सकता है


खेल के दौरान किसी भी कला कौशलों को सही प्रकार से अभ्यास करने से हम सीखने में सक्षम हो जाते हैं और उसकी स्थिति में हम शारीरिक व मानसिक रूप से कार्य को सीखते हैं समझते हैं पर करने में सक्षम होते हैं


प्रभाव का नियम (Rule of Effect) 


जब हमारे द्वारा किसी कार्य को खुशी में संतोष के साथ किया जाता है तो वह हमारी भावनाओं पर निर्भर होने के कारण अच्छा परिणाम प्राप्त कर आता है


अगर हम कार्य को खुशी में अपनी इच्छा से करते हैं यस तो वह आसानी से हमें समझ आ जाता है हमें कार्य को सीखते वक्त अपनी रूचि लगानी चाहिए वह हमारा मन भी उस कार्य को करने के लिए इच्छुक हो


एक शारीरिक शिक्षक के तौर पर बच्चों को खुशी मन लगाकर सिखाने से वह अच्छे से सीख जाते हैं वहीं दूसरी और अगर बच्चों को टक्कर मारकर सिखाया जाए तो बच्चों को इतनी जल्दी समझ नहीं आती इसलिए बच्चों को खुशी के साथ संतोष के साथ सिखाना चाहिए अभी वह सही रूप से सीख जाएंगे


मोटर कुशलता (Motor Learning) 


मोटर कुशलता के अंतर्गत सिखाने के उन सभी माध्यमों का प्रयोग किया जाता है जिन से बच्चा आसानी से सीख सके जिससे उसका मन भी लगा रहता है और वह नीचे क्रियाकलापों को भी सीख लेता है यह बच्चे सीखने के स्तर को भी बढ़ावा देता है एक बच्चे की कार्य शक्ति , समझ सकती अलग अलग होने के कारण एक ही ढंग से उन्हें सिखाने सिखाने पर सभी बच्चों को एक समान उसका प्रभाव नहीं पड़ेगा अथर्व में बच्चे की योग्यता को समझते हुए अपने समझाने के ढंग में सक्षम परिवर्तन लाने आवश्यक है तभी हम सभी बच्चों को उनकी कुशलता बेसिक क्षमता के अनुसार सिखा सकते हैं



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