शारीरिक शिक्षा में खेलकूद के क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक विषय के अध्यापन योगदान का महत्व


 शारीरिक शिक्षा में खेलकूद के क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक विषय के अध्यापन योगदान का महत्व


मनोवैज्ञानिक जिसका सारे शिक्षा में खेल कूद के क्षेत्र में अत्याधिक प्रयोग किया जाता है अर्थात खेलों को सफल बनाने हेतु खिलाड़ी के ओ जाना अत्यधिक जरूरी है यह जानने में मदद वैज्ञानिक दृष्टि के आधार पर की जाती है मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही खिलाड़ी के व्यवहार को समझा जा सकता है


कला कौशल में वृद्धि में सहायक - शारीरिक शिक्षा व खेलकूद के क्षेत्र में खिलाड़ी द्वारा ट्रस्ट तहसील प्रदर्शन करने हेतु गाड़ी को पर्याप्त प्रशिक्षण में उपयुक्त क्षमता में सुधार लाना जरूरी है जिसका ज्ञान हमें मनुष्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्राप्त होता है कला कौशल में मुख्य वृद्धि सही तकनीक में उपयुक्त क्षमता से होता है


उचित व्यवहार जानने में सहायक - शारीरिक शिक्षण में खेल अभ्यास में विद्यार्थी या खिलाड़ी का विभिन्न रूप से व्यवहारों का संबंध होता है अर्थात एक शिक्षण द्वारा खिलाड़ी या विद्यार्थी के व्यवहार में आश्रम के आधार पर ही मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण को समझा जाता है किसे समझ कर ही उन्हें एक संतुलन व्यवहार मैं बदलने का प्रयास किया जाता है अर्थात मनोवैज्ञानिक कारकों के आधार पर ही हम किसी भी विद्यार्थी खिलाड़ी के व्यवहार को समझ सकते हैं खेलकूद में व्यक्ति का उत्कृष्ट संतुलित व्यवहार की आवश्यकता होती है खेल वह क्रियाओं में रूचि के लिए आवश्यक होता है


वृद्धि और विकास की विभिन्न अवस्थाओं को जानने में सहायक - व्यक्ति की वृद्धि एवं विकास की प्रक्रिया युवावस्था से वृद्धावस्था तक चलती है परिवर्तनशील मनो व्यापारिक स्थितियों को मनोवैज्ञानिक अध्ययन के द्वारा जान सकते हैं व्यक्ति की विभिन्न योग्यताओं के अनुसार ही शिक्षण दिया जाता है 


व्यक्तित्व जानने में सहायक - ऐसा जरूरी नहीं होता कि व्यक्ति जो बाहर से स्वयं को दिखा रहा है बे अंदर से भी वही हो इसलिए व्यक्ति के व्यक्तित्व को जानने के लिए उसके व्यवहार में अच्छे उनको समझना सर्वाधिक जरूरी है सभी बच्चे का अपना अपना आचरण अपना अपना व्यक्तित्व सभी व्यक्तियों के लिए समान नहीं होता सभी व्यक्ति के लिए के अलग अलग होता है जिसके आधार पर भी हम उसके व्यक्तित्व पर सवाल नहीं उठा सकते मनोवैज्ञानिक आधार पर ही व्यक्ति के व्यक्तित्व की तुलना कर सकते हैं खेलकूद क्रियाओं में व्यक्ति के व्यक्तित्व को समझना सर्वाधिक जरूरी होता है 


मानसिक योग्यता जाने में संभव - व्यक्तियों का मुख्य रूप से मानसिक व विकास 20 साल की अवस्था तक होता है इसके बाद हम केवल स्थितियों के अनुसार ही सीखते हैं आपकी हमारी मानसिक योग्यता या क्षमता 20 साल ए सखी बढ़ती है के लिए मानसिक योग्यता का मजबूत होना सर्वाधिक जरूरी होता है जितना योगदान खेलकूद में शारीरिक क्रियाओं का होता है उतना ही मानसिक क्रियाओं कभी होता है खेलकूद आदि क्रियाओं में मानसिक योग्यता का मजबूत होना सर्वाधिक जरूरी होता है ताकि हम अलग-अलग स्थितियों में भी अपने खेल को अच्छे प्रदर्शन की ओर अग्रसर कर सकें


व्यक्ति के चरित्र निर्माण में सहायक - जब हम बात व्यक्ति के चरित्र की करते हैं तो उसके अंदर व्यक्ति के स्वभाव, संवेग, अच्छी आदत, उचित वृद्धि, बात करने का तरीका, आदतें, सामाजिक महत्व आदि को ध्यान में रखते हुए व्यक्ति के चरित्र की तुलना करते हैं मनोवैज्ञानिक आधार पर ही हम की तुलना कर सकते हैं


प्रेरणा देने में सहायक - खेलकूद में प्रेरणा का अत्यधिक प्रयोग किया जाता है प्रेरणा के आधार पर व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक कला को समझ सकते हैं खेलकूद आदि क्रियाओं में प्रेरणा का अत्यधिक महत्वपूर्ण प्रयोग किया जाता है इसके प्रयोग से ही हमारे प्रदर्शन में रूप से सुधार आता है साथ ही हमें स्वयं में प्रेरित करने का एक प्रयास करती है 


दृष्टिकोण में आवश्यक बदलाव - खेलकूद के दौरान हमें अपने दृष्टिकोण को उस खेल क्रियाओं के अंतर्गत ही परिवर्तित करना जरूरी होता है अलग-अलग खेलों में अलग-अलग प्रकार की स्थितियों का सामना करना पड़ता है उसी के अनुसार ही हमें अपनी मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी बदलना जरूरी होता है साथी हमें उन कपड़े खेल क्रियाओं में भी आवश्यक बदलाव करने जरूरी हो जाते हैं समझना हमारे दृष्टिकोण के आधार पर जरूरी होता है मनोवैज्ञानिक आधार पर ही हम अपने दृष्टिकोण में बदलाव ला सकते हैं साथी साथ उसी स्थिति में को भी सामान्य बना सकते ह

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