शरीर रचना एवं शरीर क्रिया विज्ञान विज्ञान का शारीरिक शिक्षा और खेलकूद के क्षेत्र में क्या योगदान है


 शरीर रचना एवं शरीर क्रिया विज्ञान विज्ञान का शारीरिक शिक्षा और खेलकूद के क्षेत्र में क्या योगदान है


अंग प्रति अंगों की स्वच्छता  -  शारीरिक शिक्षा में प्राय प्रैक्टिकल एंड थ्योरी कल शिक्षण समय समय के अनुसार मनोज शारीरिक अंगों के द्वारा ही कराया जाता है जिसके लिए हमारे सभी अंग प्रति अंगों की स्वच्छता अत्यंत आवश्यक होती है जिसके लिए हमारे पास पर्याप्त जानकारी हो जिसके फलस्वरूप ही हम एंड प्रति अंगों की उचित रचनात्मक एवं क्रियात्मक ज्ञान के के माध्यम से उचित स्वच्छता रख सके और हमारे अंग प्रत्यंग ओं की स्वच्छता बनाने से पर्याप्त सहयोग इस विषय के ज्ञान से मिलता है इसी से हमें शारीरिक शिक्षा में खेल कूद में कला स्वच्छ मनोज शारीरिक अंगों द्वारा सरल रूप से प्राप्त होती है


परिस्थिति एवं वातावरण के अनुसार व्यवस्थित होना -  शारीरिक शिक्षण एवं खेलकूद के क्षेत्र में विभिन्न ऐसे कार्यक्रम होते हैं वातावरण एवं अलग-अलग परिस्थितियों में अपने अंग प्रति अंगों के क्रिया प्रणाली के अनुसार व्यवस्थित होता है जिसके लिए उनके अंग प्रति अंगों की उचित क्रियाशीलता एवं रचनात्मक ज्ञान होना अति आवश्यक है जिससे वह आवश्यकता अनुसार ही कला कौशलों को करते समय समान तापमान व समान नियंत्रण रख सके 



कार्यक्रमों का चयन करने में सहायक - जितनी भी शिक्षण क्षेत्र में स्वास्थ्य ज्ञान की सुविधाएं प्राप्त की जाती है उनका चुनाव में चयन वैज्ञानिक दृष्टि से तभी संभव होता है जब शारीरिक शिक्षण एवं खेलकूद विशेषण प्रत्येक छात्र व छात्राओं के अन्य प्रतियोगी की रचनात्मक एवं क्रियात्मक अनुकूलता रचना एवं क्रिया विज्ञान विषय के अध्ययन से प्राप्त कर पाए अर्थात वैज्ञानिक दृष्टि के आधार पर ही छात्र-छात्राओं की कार्य शैली एवं कार्य क्षमता के अनुसार ही उनका चयन किया जाता है 


अनुप्रति अंगों में उचित तालमेल में एकाग्रता बनाए रखने में सहायक - शरीर रचना एवं शरीर क्रिया विज्ञान के अध्ययन से व्यक्ति के अंग प्रत्यंग में उचित रूप से सकारात्मक एवं उनके परस्पर तालमेल यह कोआर्डिनेशन बनाए रखने की की कला या ज्ञान प्राप्त होता है अर्थात हमारे सभी शारीरिक अंगों को आपस में तालमेल बनाए रखने के लिए शिक्षा एवं खेलकूद का विभिन्न कला कौशलों में प्रयोग किया जाता है


क्षतिग्रस्त एवं रोग ग्रस्त मनोज शारीरिक अंगों में पूर्ण सुधार लाना - पूर्ण रूप से पर्याप्त मात्रा में मनोज शारीरिक अंग प्रत्यंग के रचना आकृति व कार्यप्रणाली को की जानकारी को समझ सके तब हम उनके क्षतिग्रस्त पर रोग ग्रस्त होने की संभावनाओं को उचित मात्रा में कम कर सकते हैं अर्थात यदि हम मनोज शारीरिक अंगों की कार्यक्षमता व कार्यप्रणाली को समझ के उन खेल कला कौशलों में होने वाले की संभावना को कम कर सकते हैं


विभिन्न पदों की रचना एवं क्रिया प्रणाली अनुसार व्यायाम अपनाने में सहायक - सभी खेलों की रचना क्रिया प्रणाली तकनीक कौशल मैं कुछ ना कुछ असमानता जरूर होती है सभी खेल क्रियाओं के अंतर्गत अलग-अलग व्यायाम क्रिया प्रणाली तकनीकों का प्रयोग किया जाता है जिससे उन खेलों में कला कौशल में सुधार हो सके शरीर रचना विज्ञान और शरीर क्रिया विज्ञान के माध्यम से ही हम उन बयानों को उन तकनीकों को समझ सकते हैं किस किस खिलाड़ी को किस प्रकार के व्यायाम करने चाहिए जिससे कि उसकी उस खेल कला कौशलों में तकनीकों का विकास हो सके 


उचित कार्य क्षमता में सुधार - सभी खिलाड़ियों की अपनी अलग अलग कार्य क्षमता होती है इसके अनुसार ही खिलाड़ियों में   असमानता देखी जाती है अर्थात खिलाड़ियों को उनके कार्य क्षमता के अनुसार ही उचित प्रशिक्षण देना चाहिए इससे कि उनके कार्य क्षमता में खेल कला कौशल में सुधार हो सके इसका मुख्य कार्य खेल रचना विज्ञान और शरीर क्रिया विज्ञान के माध्यम से होता है

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