अष्टांग योग क्या है एवं अष्टांग योग के प्रकार


अष्टांग योग क्या है एवं अष्टांग योग के प्रकार  ( What is Astang Yoga and Type of Astang Yoga ) 


अष्टांग योग क्या है एवं अष्टांग योग के प्रकार




दोस्तों आज के इस आर्टिकल में  हम आपको अष्टांग योग के बारे में बताने वाले हैं कि अष्टांग योग क्या होता है एवं अष्टांग योग कितने प्रकार के होते हैं इससे लेटर दोस्तों काफी सारे क्वेश्चन आपको फिजिकल एजुकेशन से रिलेटेड कोर्सेज में देखने को मिलते हैं तो आज के इस आर्टिकल में हमने उसको ही कवर किया है


अष्टांग का अर्थ होता है 8 अंग इसके अंतर्गत योग के आठ अंगों या शाखाओं हो का ज्ञान प्राप्त होता है यो यो हनी मंगाया शाखाओं के अनुरूप करने पर ही विशेष लाभ पा सकते हैं अष्टांग योग के माध्यम से ही हम अपने मन इंद्रियों में विचारों पर नियंत्रण कर सकते हैं


 साथ ही हमारे मन मस्तिष्क में प्रवेश करने वाली अशुद्धियों या गलत विचारों की भावनाओं को भी हम बाहर निकालने में सक्षम हो पाते हैं जिसके फलस्वरूप हमें शारीरिक व मानसिक रूप से शक्ति प्राप्त होती है या विकास होता है तो चलिए अब हम अष्टांग योग के सभी शाखाओं के अंगों के बारे में बात करते हैं

 

यम (सामाजिक अनुशासन)

नियम (व्यक्तिगत अनुशासन)

आसन (शारीरिक पोस्टर या स्थिति)

प्राणायाम (सांस रोकना)

प्रत्याहार (मन या इंद्रियों पर अनुशासन )

धारणा (एकाग्रता)

ध्यान (साधना)

समाधि (आत्मानुभूति)

 

 

यम

इसके अंतर्गत कुछ बातों का परहेज या बचाव करना होता है ऐसा

अहिंसा- लड़ाई झगड़ा ना करें किसी भी व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक रूप से किसी भी प्रकार कष्ट प्रदान न करें

सत्य- हमेशा सत्य बोले एवं सत्य का साथ दें

कुछ भी ना चुराए - दूसरों के किसी भी वस्तु पर अपनी नियत न रखें नहीं उसके बारे में कुछ भी गलत सोच है

ब्रह्मचर्य - यौन संबंधों पर नियंत्रण करें अर्थात इसका अर्थ होता है कि उम्र भर कुंवारे ना रहे बल्कि यौन संबंधित क्रियाओं पर अपना नियंत्रण बनाए रखें एवं एक सीमित मात्रा में ही करें

 

 

नियम

इसका अर्थ होता है व्यक्तिगत अनुशासन

मन क्रम व्यवहार में आचरण को पवित्र बनाए रखने हेतु इन पर नियंत्रण रखना काफी आवश्यक होता है इन पर नियंत्रण रखने के लिए हमें योग क्रियाओं का सही प्रकार से प्रयोग करना चाहिए

 

स्वच्छता से संबंधित सभी क्रियाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए प्रतिदिन नहाना चाहिए स्नान करना चाहिए शारीरिक अंगों को साफ रखना चाहिए एवं अपने आसपास भी सफाई रखनी काफी आवश्यक होती है हम जिस स्थान पर योग क्रियाओं को कर रहे हैं अब एकदम साफ स्वच्छ एवं पेड़-पौधों वाला होना चाहिए जहां पर हमें शांति प्रदान हो किसी भी प्रकार की गंदगी ना हो

 

ऐसे स्थान पर योग क्रियाओं को करने से हमारा मन ध्यान वे इंद्रिया नियंत्रित होने की संभावना अधिक होती है एवं हमारी योग क्रियाओं में भी लाभ प्राप्त होता है

 

 

आसन

इसके अंतर्गत कुछ शारीरिक स्थिति आती हैं यह स्थिति हमारे शरीर में मन को एक विशेष मुद्रा में ले जाती है वह मुद्रा हमें सकारात्मक उर्जा प्रदान करती है वह हमारे शरीर में मन को शक्ति प्रदान करती है साथ ही हमारी शारीरिक व मानसिक कार्य क्षमता में भी लाभकारी होती है यह हमारे शारीरिक अंगों की क्रिया विधि को भी नियंत्रण करती है

 

 

प्राणायाम

 

हमारे जीवन के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है ऑक्सीजन के रूप में ही हमें कार्य करने हेतु ऊर्जा प्राप्त होती है क्योंकि यह हमारे शारीरिक अंगों में पोषक तत्व को पहुंचाने का भी विशेष कार्य करती है यह हमारे फेफड़ों की क्रियाविधि पर भी प्रभाव डालती है प्राणायाम के अंतर्गत सांस से संबंधित क्रियाएं होती है जिसमें सांप को रोका जाता है एवं इसकी क्रियाविधि को बढ़ाया जाता है जिसका लाभ हमारे आंतरिक अंगों को विशेषकर होता है और उन्हें पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा एवं पोषक तत्व का आदान-प्रदान हो जाता है यह हमारी रक्त संबंधित विशेष क्रियाओं को भी नियंत्रित करता है

इसका मुख्य प्रभाव हमारी शारीरिक व मानसिक क्षमताओं पर पड़ता है

 

 

प्रत्याहार

 

 प्रत्याहार अर्थात इंद्रियों पर नियंत्रण

 एक व्यक्ति का अपनी इंद्रियों एवं मन पर नियंत्रण बनाए रखना काफी आवश्यक होता है योग क्रियाओं के अंदर ही हम अपने मन और इंद्रियों पर नियंत्रण कर सकते हैं उन्हें बाहरी एवं अनावश्यक विचारों से दूर रख सकते हैं और इसका मुख्य लाभ हमारी मानसिक क्षमताओं पर देखने को मिलता है इस प्रकार का लाभ हम आसानी से प्राप्त नहीं कर सकते इसके लिए हमें योग क्रियाओं को लंबे समय तक प्रयोग में लाना होगा एवं उसका सही रूप से सही ढंग से प्रयोग करना होगा तभी हम अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण कर सकते हैं

 

धारणा

धारणा अर्थात मन की एकाग्रता

 

योग क्रियाओं में एक समय के लिए हमें अपने ध्यान मन एवं इंद्रियों को एक स्थान पर केंद्रित करना होता है अब उस स्थान के अनुरूप हम अपने किसी भगवान किसी विशेष व्यक्ति या स्वयं को भी रख सकते हैं यह हमारी मानसिक क्षमता को प्रभावित करता है एवं हमारे मन एवं इंद्रियों पर नियंत्रण करने का एक सही तरीका होता है परंतु लंबे समय तक योग क्रियाओं को करने के पश्चात हमें इस प्रकार की क्रियाओं को समझने की क्षमता आती है

 

 

ध्यान

साधना या वर्तमान में जीना

अर्थात में अपने मन इंद्रियों पर नियंत्रण करने के लिए योग क्रियाओं की ध्यान स्थिति में स्वयं को देखना यह स्वयं की स्थिति को देखकर करना चाहिए जिससे हमारा ध्यान एवं एकाग्रता हमारी स्थिति पर चली जाएगी एवं हम अपने मन में इंद्रियों पर नियंत्रण रख पाएंगे साथी अपनी ध्यान अपनी शक्तियों को बढ़ाने एवं भविष्य नीतियों के लिए लगा सकते हैं

 

समाधि

 

यह एक ऐसी स्थिति है जो ध्यान की चरम सीमा पर व्यक्ति को ले जाती है इस इस स्थिति में व्यक्ति का मन मस्तिष्क बैटरी रेट ईमेल ईद जो एक मृत व्यक्ति के समान होता है यह स्थिति केवल कुछ क्षणों के लिए ही आती है जो हमारी कार्यक्षमता पर निर्भर करती है और इस स्थिति में आने पर हमें एक अलग प्रकार की सकारात्मक शक्ति प्रदान होती है जो हमारे शारीरिक व मानसिक दोनों क्षमताओं को परिपूर्ण बनाती है ऐसी स्थिति में आने के लिए हमें विशेष प्रकार से योग नियमों को लंबे समय तक पालन में लाना होगा एवं यह हमारी मानसिक क्षमता को अत्यधिक प्रभावित करने का एक कारगर तरीका होता है

 

ध्यान धारणा एवं समाधि को योग शास्त्र के अनुसार संयम कहा गया है इनके प्रयोग से हमारी मानसिक क्षमताओं में विशेष वृद्धि होती है और हमारे ज्ञान ज्योति दीप प्राप्त होते हैं यह हमारे ज्ञान के भंडार को बढ़ाता है हमारी मानसिक बुद्धि में विकास लाता है एवं सकारात्मक विचार लाने का प्रयास करता है

 

 

अष्टांग योग के महत्व एवं लाभ

 

अष्टांग योग के प्रयोग से शरीर में दिमाग की शांति और स्थिरता स्थिति है जो हमारे लिए अति आवश्यक होती है यह हमारे शरीर में मस्तिष्क को शांति प्रदान करती है

 

खेलकूद के बाद थकावट की स्थिति से साधारण स्थिति में लाने के लिए अनेकों प्रकार की क्रियाविधि आसनों का प्रयोग बताती है जिसमें विशेष का शासन में मकरासन होते हैं यह हमारी शारीरिक व मानसिक थकावट को दूर कर एक नई ऊर्जा प्रदान करते हैं

 

योग का सही रूप से लाभ केवल तभी प्राप्त हो सकता है जब योग करने का स्थान स्थान स्वच्छ एवं पेड़ पौधे वाला उसके साथ ही एक अच्छा योग मेट एवं योग क्रियाओं के अनुरूप वस्त्रों को धारण करना चाहिए अमित सभी योग क्रियाओं को ध्यान पूर्वक एवं झटके रहित करना चाहिए साथियों की सभी क्रियाओं में आने के पश्चात कुछ समय के लिए उसी स्थिति में रुकना चाहिए

 

अपनी कार्यक्षमता एवं शारीरिक अंगों के अनुसार ही योग क्रियाओं में आना चाहिए शुक्रिया झटके रहित हो एवं शारीरिक अंगों पर अधिक दबाव में हो अगर शारीरिक अंगों पर अधिक दबाव लग रहा है तो हमें उस क्रियाओं को नहीं करना चाहिए क्योंकि उस क्रियाओं को करने से हमें लाभ होने के बजाय नुकसान भी हो सकता है

 

अष्टांग योग से हमारी शारीरिक अंगों जैसे मांसपेशी जो हड्डी में आंतरिक अंगों की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है इसके साथ ही यह हमारे अंगों का आपसी तालमेल बनाने में भी लाभकारी होते हैं

 

योग का लाभ शारीरिक तो होता ही है परंतु यह मानसिक क्षमता को भी प्रभावित करते हैं  इसके साथ ही मानसिक शक्ति की एकाग्रता को भी प्रभावित करता है तनाव चिंता आदि को भी कम करता है एवं हमारे मन में इंद्रियों पर नियंत्रण लाने के लिए संभव प्रयास करता है यह हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है एवं हमारे सोचने समझने की क्षमता में भी वृद्धि करता है

 

योग के नियमित प्रयोग से अनेकों प्रकार की बीमारियों में भी बचाव प्राप्त होते हैं इसके साथ ही अनेक प्रकार की बीमारियों में भी लाभकारी होते हैं यह बीमारियों को अधिक बढ़ने नहीं देते एवं लंबे समय तक इनके प्रयोग से कोई बीमारी लगने की संभावना भी कम हो जाती है योग के माध्यम से रोग मुक्त शरीर प्राप्त हो सकता है योग के माध्यम से हमें स्वस्थ एवं निरोगी शरीर प्राप्त होता है इसके साथ ही यह हमारे मस्तिष्क की कार्य क्षमता एवं शारीरिक कार्य क्षमता को भी प्रभावित करते हैं एवं हमें एक नई ऊर्जा प्रदान करते हैं जो हमारे भविष्य के लिए काफी लाभकारी होती है एवं हमें अच्छा व्यक्तित्व प्रदान करने के लिए सभी संभव प्रयास करते हैं योग कल आप सभी वर्गों के मनुष्यों के लिए लाभकारी होता है इसका किसी भी प्रकार से किसी आयु जाति या वर्ग से कोई संबंध नहीं होता यह सभी को बराबर ही लाभ प्रदान करती है

 

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