समाजशास्त्र , खेल समाजशास्त्र का अर्थ और परिभाषा


 समाजशास्त्र ,  खेल समाजशास्त्र का अर्थ और परिभाषा


अर्थ


प्रत्येक मनुष्य आदिकाल से ही समाज में रहता हुआ है अपने समाज में स्वयं के बीच अध्ययन में रुचि काफी समय बाद लेनी शुरू की प्रारंभ में मनुष्य ने प्राकृतिक घटनाओं को समझा उसके बाद अपने चारों ओर के वातावरण पर्यावरण को समझा उसके पश्चात ही मनुष्य ने सामाजिक विषयों के बारे में सोचना शुरू किया


समाजशास्त्र के अंतर्गत परिवर्तित समाज का मनुष्य के सामाजिक संबंधों का मनुष्य आज का मनुष्य के दृष्टिकोण मैं होने वाली भिन्नता का दिन किया जाता है


क्योंकि समाज में रहने वाले सभी व्यक्ति की दृष्टिकोण में सोच एक जैसी होनी संभव नहीं है समाज मैं रह रहे सभी व्यक्ति की की किसी विषय पर राय सोच अलग-अलग होती है 


अर्थात किसे परिस्थितियां स्थिति में सभी अपने-अपने अनुसार कार्य करते हैं


सामाजिक विज्ञान के द्वारा समाज के किसी भी भाग्य पक्ष का अध्ययन किया जाता है



खेल समाजशास्त्र


अर्थ


समाज के अंतर्गत खेल में सामाजिक जीवन के पहलुओं के संबंध को व्यक्त किया जाता है


किसी भी खेल के अंतर्गत अन्य खिलाड़ी टीम कोच मैनेजमेंट व अन्य सभी भी हमारा समाज बन जाते हैं वे परिवार में बाहर यह समाज के संबंध को हमें व्यक्त करना होता है


परिभाषा


समाजशास्त्र का अध्ययन खेल के लिए आया खेल गतिविधियों के अंतर्गत किया जाता है तो वह खेल समाजशास्त्र कहलाता है


खेल समाजशास्त्र के द्वारा किसी भी बालक का ओवरऑल डेवलपमेंट हो सके इसलिए उसे सामाजिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए विकसित किया जाता है जिससे वह खेल प्रशिक्षण में खेलने से समाज को भी सक्षम यह समझ सके साथी अपने समाज के प्रति जिम्मेदारी को भी समझ सके



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