भावना या संवेग का अर्थ और परिभाषा
भावना प्राणी की उत्तेजित मनोवैज्ञानिक और शारीरिक दशा होती है इससे कुछ ही समय में एक शक्तिशाली भावना जागृत होती है और लंबे समय तक जागे की जाती है जिसके फलस्वरूप हम किसी भी कार्य को करने के लिए उत्तेजित जाते हैं जिसे शारीरिक क्रिया व शक्तिशाली भावना किसी निश्चित कार्य क्या उद्देश को करने में या प्राप्त करने में के लिए बढ़ जाती है अर्थात जिसे साधारण भाषा में हमें मन भी कह सकते हैं अर्थात किसी कार्य को करने के लिए हमारे मन का उत्तेजित होना
और शारीरिक व मानसिक रूप से हम उस भावना को पूर्ण करने का प्रयास करते हैं या फिर अगर संभव नहीं है तो हम उसे अंदर ही दबा लेते हैं
भावनाओं की त्रिविता
सबवे को में तेरे बता पाई जाती है और वह बहुत जल्दी उत्पन्न हो जाती है शिक्षित व्यक्ति सभी को पर एक समय के बाद नियंत्रण कर लेते हैं हिंदी
भावना के सब लोगों में सुखद में दुखद दो प्रकार के संवेग होते हैं स्थिति के अनुसार जागृत होते हैं
संवेग जन्म से उत्पन्न होते हैं जबकि इनका विकास में धीरे-धीरे स्थिति के अनुसार होता रहता है
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