कोशिका क्या है इसके प्रकार , संरचना एवं कार्य


 कोशिका क्या है इसके प्रकार , संरचना एवं कार्य


कोशिका क्या है उसकी संरचना एवं प्रकार / कोशिका संरचना एवं कार्य / कोशिका के बारे में बताएं / Cell notes in Hindi / Cell , structure work notes in Hindi


          कोशिका क्या है इसके प्रकार , संरचना एवं कार्य

 

                                    कोशिका (Cell)

मनुष्य शरीर की रचना के बारे में जानने से पहले हमें शरीर में उपस्थित विभिन्न अंगों के बारे में जानना अति आवश्यक है उन अंगों में से सबसे जरूरी होता है उसी का कोशिका हमारे शरीर की सबसे सूक्ष्म रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई होती है यह मानव शरीर में गंभीर रूप से कार्य करती है

 


 

 कहां जाता है जिस प्रकार एक एक बूंद से सागर बनता है उसी प्रकार एक ही कोशिका से मानव शरीर का निर्माण होता है इसी के अंदर मानव शरीर की होने वाली सभी क्रियाएं होती है तथा यह बहुत सूक्ष्म होती है इसे केवल सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जाता है एक या एक से अधिक कोशिकाओं से मिलकर ही टिशू बनते हैं और किसी और से मिलकर ही हमारे शरीर के अंग बनते हैं

 

सन 1665 में रॉबर्ट हुक द्वारा कोशिका को देखा गया था जिन्हें इसका आविष्कारक माना जाता है अगर हम रचना के बारे में बात करें तो कोशिका की रचना के अंदर कोशिका झिल्ली जीव द्रव्य , कोशिका द्रव्य , नाभिक तथा आकर्षक गोलक आदि पाए जाते हैं

 

 

कोशिका की रचना (Structure of Cell)

 

कोशिका को केवल सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है नग्न आंखों से से देखना अति संभव है कोशिकाओं के अंदर भी और सारी संरचनाएं पाई जाती है जो निम्न है

 

- कोशिका झिल्ली

- जीव द्रव्य

- कोशिका द्रव्य

- नाभिक

- आकर्षक गोलक

 

मुख्य रूप से कोशिकाओं के अंदर यह सभी पाए जाते हैं

 

कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)

 

कोशिका झिल्ली कोशिकाओं के चारों ओर एक दीवार की भांति होती है इसे कोशिका झिल्ली कहते हैं यह कोशिकाओं को पूर्ण रूप से ढकी रहती है जो मुख्य रूप से कोशिकाओं को सुरक्षित करती है कोशिका शरीर में प्रवेश करने वाले सभी वस्तुएं पदार्थों को ग्रहण नहीं करती जबकि कोशिका झिल्ली में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिनकी सहायता से आवश्यक पदार्थों को ही ग्रहण करती है

 

जीव द्रव्य

 

जीव द्रव वास्तव में एक बड़ा सा धर्म होता है जो कोशिकाओं के अंदर उपस्थित होता है यह मुख्य रूप से कोशिकाओं के भोजन का स्रोत होता है जल की तरह पतला नहीं होता जबकि एक घड़ा पदार्थ होता है इसके अंदर कई अन्य तत्व भी सम्मिलित होते हैं लगभग 3 बटा 4 भाग जल और एक बटे चार बाग अन्य तत्वों से निर्मित होते हैं इसके अंदर मुख्य रूप से चर्बी नमक कार्बन डाई हाइड्रेट तथा प्रोटीन सम्मिलित रहते हैं इस धर्म का नाम मुख्य रूप से जीव द्रव इसलिए रखा गया है क्योंकि यह मनुष्य को जीवन प्रदान करता है शरीर में यह द्रव्य समाप्त हो जाएगा तो मानव का जीवन समाप्त हो जाएगा तथा अनेकों परिस्थितियों के अनुसार कार्य करने की क्षमता रखता है

 

 

कोशिका द्रव ( Cytoplasm)

 

द्रव में एक और प्रधान विद्यमान रहता है जिसे हम कोशिका द्रव्य कहते हैं यह द्रव्य पूर्ण रूप से पारदर्शक नहीं होता यह अपार दर्शक होता है इसके मुख्य रूप से जाली के समान होती है प्रोटीन वसा खनिज लवण एवं विटामिन जैसे तरफ से मिलकर ही इसका निर्माण करते हैं यह कॉल आईडी दर्द होता है इसके अंदर कैंसर जीव कोशिका वतन वस्तुएं उपस्थित रहती है इसके अंदर जल की मात्रा घटती बढ़ती रहती है तथा उसका गाढ़ा पंवर तरल पर भी कम होता रहता है सजीव होने के लिए इसमें कम से कम 18 परसेंट जल होना आवश्यक होता 

 

 कोशिका के अंदर कई अन्य संरचनाएं भी उपस्थित होती है जो निम्न 

माइटोकॉन्ड्रिया

 

राइबोसोम

 

 

माइटोकॉन्ड्रिया

 

माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका द्रव के अंतर्गत सूक्ष्म शैलियां होती है यह ठोस रूप में पाया जाता है इसके आकार फिर भेद होते हैं सभी कोशिकाओं में इनकी संख्या नियमित नहीं होती किसी कोशिका में इसकी संख्या 50 तो किसी कोशिका में स्थित संख्या 5000 तक भी होती है माइक्रो कोंडिया मुख्य रूप से वसदा प्रोटीन से बना होता है इसके अंदर राइबो न्यूक्लिक अम्ल भी होता है कोशिका विभाजन के समय भजन होता है तथा इनके अंदर कुछ ऐसे एंजाइम पाए जाते हैं के दौरान सूक्ष्म अनुभव का ऑक्सीकरण करने में सहायता प्रदान करते हैं अन्य कोशिकाओं के भांति माइटोकॉन भी पूर्ण रुप ढका होता है इसका आकार उंगली के समान होता है

 

 

राइबोसोम

 

एक आकार बहुत छोटा होता है जो कोशिका द्रव में इधर-उधर मिलते हैं इन माइक्रो कंडिया की तुलना में बहुत छोटा होता है यह नदियों की बाहरी परत में चिपके हुए होते हैं कुछ मात्रा में यह माइक्रो कोंडिया के अंदर भी पाए जाते हैं राइबोसोम मुख्य रूप से न्यू लिक नामक पोषक पदार्थ से बनता है प्रोटीन तथा राइबो न्यूक्लिक अम्ल दोनों लगभग बराबर होते हैं शरीर के अंदर जितने राइबोसोम की मात्रा होगी उतने ही शरीर के अंदर पोषक तत्व होंगे यदि पोषक तत्व सही मात्रा में है तो राइबोसोम की मात्रा भी सही होगी यदि हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी होती है तो राइबोसोम भी हमारे शरीर में बहुत कम मात्रा में पाए जाएंगे इसीलिए राइबोसोम को मुख्य रूप से प्रोटीन का भंडार कहा जाता

 

लाइसोसोम

इसका आकार छोटी थेली जैसा होता है उसके चारों और पतली झिल्ली पाई जाती है इसके अंदर ऐसे अनजान पाए जाते हैं जो जीव धर्म को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं कोशिका विभाजन की स्थिति में इसमें मौजूद एंजाइम्स के द्वारा ही जीव द्रव को नष्ट कर दिया जाता है जिससे कोशिका विभाजन हो जाता है अर्थात कोशिका का विनाश हो जाता है यह अंत्य कोसी के पदार्थों के छोटे टूटे-फूटे भाग साफ करने का कार्य करता है तथा ही है जीवाणु तथा विषाणु से भी रक्षा करने का कार्य करता है

कोशिका द्रव के बीच में गोल , बड़ी  संरचना पाई जाती है जिसे केंद्रक कहा जाता है यह चारों ओर से  से घिरा होता है जिसे केंद्र की झिल्ली कहा जाता है प्रत्येक जीवित कोशिकाओं में एक केंद्र पाया जाता है परंतु कुछ ऐसे कोशिकाओं होती है जिसमें एक या एक से अधिक केंद्र भी पाए जाते हैं केंद्र के अंदर एक द्रव भरा होता है जिसे केंद्रक द्रव कहते हैं केंद्र के अंदर ही डीएनए अनुवांशिक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाने के गुण पाए जाते हैं कोशिका विभाजन के समय यह मोटी छड़ी जैसी रचना में परिवर्तित हो जाते हैं जिन्हें गुणसूत्र कहते हैं डीएनए अणु में कोशिका के निर्माण तथा संगठन की संपूर्ण सूचनाएं पाई जाती है डीएनए के इस क्रियात्मक खंड को ही जिन कहा जाता है डीएनए को अनुवांशिक पदार्थ तथा जींस को अनुवांशिक इकाई भी कहा जाता है केंद्र कोशिकाओं की रक्षा करता है केंद्र को कोशिका का मस्तिष्क भी कहा जाता है क्योंकि यह कोशिका के सभी कार्यों पर नियंत्रण रखता है

 

केंद्र के अंदर केंद्रक दरों में एक छोटे गोल आकार एवं अंडा का रचना पाई जाती है जिसे केंद्रिका कहा जाता है यह कुछ कोशिकाओं में छोटी होती है अथवा कुछ में पाई भी नहीं जाती कुछ कोशिकाओं में इसकी संख्या एक भी होती है तो कुछ कोशिकाओं में से संख्या हजारों में पाई जाती है या कोशिका विभाजन में केंद्रीय का का विशेष महत्व होता है यह केंद्र के सभी कार्यों को नियंत्रित  करती है

कोशिका के कार्य (Work of Cell)

 

 

वृद्धि एवं रखरखाव

 

वो को कोशिका ग्रहण करती है उन्हें में दो प्रकार से रखती है प्रथम में इन तत्वों से नया फोटो क्लास में बनाते हैं जिससे कोशिका का आकार बढ़ता है उनका विकास होता है तथा उनका पालन पोषण होता 

 

वित्तीय में किन पोषक तत्वों से कोशिका के जो भाग क्षतिग्रस्त होते हैं या टूट फूट जाते हैं की मरम्मत की जाती है आता ही है उनके रखरखाव के लिए अत्यंत आवश्यक होती है इसके आवश्यक पोषक तत्व को ग्रहण करती है तथा उनका प्रयोग करती 

 

स्वसन क्रिया

 

कोशिका ऑक्सीजन के के द्वारा प्राप्त होने वाले पोषक तत्व को ग्रहण कर कर करती है फेफड़ों से होकर ऑक्सीजन रक्त के माध्यम से कोशिकाओं तक पहुंचती है जिससे वे आवश्यक पोषक तत्वों को ग्रहण कर टूटी फूटी कोशिकाओं की मरम्मत कर बची हुई अपशिष्ट गैस कार्बन डाइऑक्साइड को वापस फेफड़ों में भेज देती है यह क्रिया कोशिका द्वारा ही निर्भर होती 

 

मेटाबॉलिज्म 

 

कोशिका के अंदर सभी क्रियाएं दो प्रकार से होती है निर्माण कार्य अनाबॉलिक जिसके अंदर पोषक तत्व को विघटन किया जाता है तथा दूसरी और पोषक तत्वों का अध्ययन किया जाता है तथा अलग-अलग पोषक तत्व को उसके जरूरत के अनुसार रखकर उनमें से अनावश्यक पोषक तत्व को बाहर निकाल दिया जाता है जिससे कौशिक का ऊर्जा को ग्रहण करती है जिससे हमारे शरीर को कार्य करने के लिए आवश्यक ऊर्जा का आदान-प्रदान होता रहता है घर की ऊर्जा का प्रयोग शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में गर्मी प्रदान करने में गति प्रदान करने में ग्रंथियों का आवश्यक राशि प्रदान करने में क्या जाता है शादी सास तंत्रिकाओं को क्रिया के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता 

 

 

उत्सर्जन

 

रक्त के माध्यम से आई ऑक्सीजन गैस से आवश्यक पोषक तत्व को ग्रहण करती है जिनकी शरीर को आवश्यकता होती है उसके पश्चात बची हुई अपशिष्ट पदार्थों को वह उत्सर्जन करने के लिए उत्सर्जन नली के माध्यम से हमारे गुडे के माध्यम से के माध्यम से बाहर निकाल देती है इसी क्रिया को उत्सर्जन  कहते हैं इसका मुख्य रूप से कार्य कोशिका के माध्यम से ही किया जाता

 

 

 

 


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