ट्रेनिंग प्रशिक्षण (प्रशिक्षण भार) से आप क्या समझते हैं?


 TRAINING LOAD  (प्रशिक्षण भार)


खेल प्रशिक्षण के अंतर्गत खिलाड़ी को विभिन्न गतिविधियां सिखाई जाती है जिनके आधार पर खिलाड़ी को उस खेल से संबंधित भली-भांति ज्ञान प्राप्त होता है खिलाड़ी को खेल से संबंधित विभिन्न प्रकार के कौशलों का ज्ञान प्राप्त होता है साथ ही साथ विभिन्न प्रकार के तकनीकों का भी ज्ञान हो जाता है इस प्रशिक्षण के अंतर्गत खिलाड़ी की शारीरिक योग्यता व क्षमता में भी काफी सुधारा जाता है परंतु यह सब तभी संभव है जब खिलाड़ी को उचित प्रकार से अर्थात सही प्रकार से प्रशिक्षण प्राप्त हो 


प्रशिक्षण भार से आप क्या समझते हैं?


प्रशिक्षण के माध्यम से ही खिलाड़ी को विशेष प्रकार का ज्ञान प्राप्त होता है कि किस प्रकार की क्रिया किस प्रकार की सिचुएशन में इस प्रकार के कौशल्या तकनीकों का उपयोग करना है जिसके आधार पर ही उस खिलाड़ी का प्रदर्शन बेहतर होता है 


ट्रेनिंग प्रशिक्षण (प्रशिक्षण भार)  से आप क्या समझते हैं?



ट्रेनिंग प्रशिक्षण (प्रशिक्षण भार) 


खिलाड़ियों की क्षमताओं में आवश्यक सुधार लाने के लिए समय-समय पर ट्रेनिंग में थोड़ा-थोड़ा लोड अर्थात भार बढ़ाया जाता है जिसके आधार पर ही खिलाड़ी की परफॉर्मेंस बेहतर होती है ट्रेनिंग लोड के माध्यम से ही खिलाड़ी मानसिक व शारीरिक रूप से विकसित होता है खिलाड़ी में सहनशीलता की क्षमता भी बढ़ती है खिलाड़ी के थकने की क्षमता में थोड़ा सी बढ़ोतरी होती है तथा लंबे समय तक वह ट्रेनिंग के लिए या खेल क्रियाओं के लिए सक्षम बन जाता है 


अभ्यास से ट्रेनिंग से प्राप्त थकान को झेलना तथा फिर उसको adept कर लेने से खिलाड़ी की क्षमता में आवश्यक सुधार देखने को मिलता है  भार प्रशिक्षण के प्रयोग करके सभी शिक्षक खिलाड़ियों में विभिन्न प्रकार की शक्ति गति बल जैसे गुणों को विकसित करता है


वास्तव में ट्रेनिंग लोड एक वैज्ञानिक कारक है जिसे खिलाड़ियों की शारीरिक क्षमता , मानसिक क्षमता वह आवश्यक वैज्ञानिक कारकों के माध्यम से ही प्रदान की जाती है अर्थात खिलाड़ियों की क्षमता को समझने के बाद ही उसे आवश्यक ट्रेनिंग लोड दिया जाता है या उसकी प्रशिक्षण की क्रियाओं में आवश्यक बढ़ोतरी या परिवर्तन किए जाते हैं यह सभी खिलाड़ियों को देखते हुए ही बदले जाते हैं ताकि इन सभी क्रियाओं को करने से खिलाड़ी के प्रदर्शन में बेहतर सुधार हो सके 


प्रशिक्षण भार के निम्न दो रूप हो सकते हैं 


- ऐसी शारीरिक क्रियाएं जिनसे थकान उत्पन्न हो सके (प्रशिक्षण भार) 


- ऐसी क्रिया जिनसे थकान उत्पन्न ना हो (प्रशिक्षण भार) - इस प्रकार की क्रियाओं में कुछ हल्की मानसिक क्रिया जाती है 

ऐसी क्रिया जिनसे थकान उत्पन्न ना हो (प्रशिक्षण भार) - इस प्रकार की क्रियाओं में कुछ हल्की मानसिक क्रिया जाती है 


प्रशिक्षण भार दो चरणों में होता है 


- प्रशिक्षण भार 


इस प्रकार के प्रशिक्षण भार को काफी लंबे समय पहले तक कराई जाती है


- प्रतियोगिता भार 

प्रतियोगिता के अंतर्गत भारत प्रशिक्षण की क्रियाविधि को देखरेख में उचित तरीके से प्रदान की जाती है क्योंकि यह प्रतियोगिता से कुछ समय पहले प्रदान की जाने वाली प्रशिक्षण विधि होती है इसलिए एक प्रशिक्षक द्वारा इस पर विशेष ध्यान दिया जाता है


प्रशिक्षण भार के सिद्धांत (Principle of Training load)


प्रशिक्षण पान के सिद्धांतों का प्रयोग करके जो भी प्रशिक्षण किसी खिलाड़ी को प्रदान किया जाता है उससे उसके प्रदर्शन क्षमता में काफी बढ़ोतरी होती है तथा इनके प्रयोग से खिलाड़ियों की क्रिया में रुचि , सहनशीलता एवं खिलाड़ी मनोवैज्ञानिक रूप से विकसित होता है 


भार की निरंतरता का सिद्धांत (Principles of continuity of load )


इस सिद्धांत के आधार पर खिलाड़ियों को प्रशिक्षण की गतिविधियों को लगातार निरंतर रूप से प्रदान की जानी चाहिए अर्थात खिलाड़ियों को खेल क्रियाओं खेल कौशलों एवं खेल तकनीकों का ज्ञान एवं अभ्यास निरंतर कराते रहना चाहिए तभी उसको प्रभाव उसके प्रदर्शन पर पड़ता है 

ट्रेनिंग लोड के निरंतर या लगातार प्रयोग से खिलाड़ियों के प्रदर्शन क्षमता एवं योग्यता में आवश्यक वृद्धि एवं आवश्यक बढ़ोतरी होती है 

यदि खिलाड़ियों की ट्रेनिंग में कुछ समय का यह कुछ हफ्तों का अंतराल हो जाए तो वह उसके प्रदर्शन पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है अर्थात उसका परफॉर्मेंस नीचे की तरफ गिर जाता है इसीलिए इस सिद्धांत का प्रयोग खिलाड़ी के प्रदर्शन के लिए काफी लाभकारी होता है एक खिलाड़ी को अच्छे प्रदर्शन के लिए लगातार एवं नियत नियमित रूप से प्रशिक्षण  ग्रहण करना चाहिए 

इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक खिलाड़ी को अपने खेल की एक कौशल का अभ्यास निरंतर3-4 हफ्तों तक करना चाहिए इससे खिलाड़ियों के कार्य क्षमता में काफी बढ़ोतरी होती है एवं आसानी से उस खेल कौशल को भी समझ जाते हैं 

इस सिद्धांत के अंतर्गत एक प्रशिक्षक को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए 

- खिलाड़ियों की शारीरिक योग्यता व क्षमता 

- खिलाड़ियों की रूचि 

- खिलाड़ियों की मानसिक क्षमता 

- खिलाड़ियों के सहनशीलता क्षमता 

- खिलाड़ियों की शारीरिक बनावट 

- खिलाड़ियों के व्यक्तित्व




 रिकवरी का सिद्धांत (Principle of Recovery)


यह सिद्धांत एक खिलाड़ी की छमता पर काफी प्रभाव डालता है इस सिद्धांत के आधार पर हम यह जानते हैं कि एक खिलाड़ी को जितना समय ट्रेनिंग मैं देना चाहिए उतना ही समय उसे रिकवरी में भी देना चाहिए ट्रेनिंग लोड पर भी इसका प्रभाव पड़ता है अच्छा ट्रेनिंग लोड जितना हार्ड होगा इसका समय काल भी उतना ही अधिक होगा अगर हम रिकवरी पीरियड को पूर्ण रूप से प्रयोग नहीं करते तो इसका प्रभाव हमारे प्रदर्शन पर भी पड़ता है क्योंकि कहीं ना के हमारे शरीर में थकान रह जाती है और हम बेहतर प्रदर्शन के लिए तैयार नहीं रहते ट्रेनिंग लोड के अंतर्गत ही रिकवरी का टाइम भी कार्य करता है क्योंकि लगातार किसी क्रिया को दोहराने से उसका हमारे शरीर पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता अर्थ अर्थ हमें थकावट कम होती है इससे रिकवरी का समय भी हमें कम प्रयोग करना चाहिए उसके पश्चात ही हमें ट्रेनिंग लोड को बढ़ाना चाहिए और उसके अनुसार ही हमें रिकवरी भी लेनी चाहिए



भार की विशिष्टता का सिद्धांत ( Principle of Specificity of Load)

हमें प्रशिक्षण भार खिलाड़ियों की विशिष्टता को देखते हुए ही प्रदान करना चाहिए इसका प्रयोग हम दो प्रकार से कर सकते हैं प्रथम खिलाड़ी के प्रदर्शन को और बेहतर करने के लिए या दूसरा खिलाड़ियों की विशेष कमियों को दूर करने के लिए यदि किसी खिलाड़ी में खेल करिया हो या कौशल हो गया तकनीकों को करने में कोई परेशानी आ रही है क्या उन क्रियाओं को प्रॉपर तरीके से नहीं कर पा रहा है तो ट्रेनिंग लोड के माध्यम से हम उनकी उन कमियों को दूर करने का प्रयोग कर सकते हैं एवं उसकी शारीरिक क्षमता व योग्यता को भी बढ़ा सकते हैं 



भार की प्रगतिशीलता का सिद्धांत (Principle of Progression of Load)


इस सिद्धांत के अनुसार खिलाड़ी की क्रिया कौशलों में  वृद्धि, प्रगति या उच्च स्तर प्रदान करने के लिए समय-समय पर उसके प्रशिक्षण के भार को बढ़ाते रहना चाहिए इसका प्रयोग हमें निम्न प्रकार से करना चाहिए जब भी हम खिलाड़ी के बाहर को बढ़ाते हैं तो कुछ समय पश्चात ही खिलाड़ी उस बार में अनुकूलता प्राप्त कर लेता है अर्थात खिलाड़ी पर उस भार का कोई प्रभाव नहीं पड़ता उस बाहर से खिलाड़ी की थकान सहनशीलता आदि स्थिर हो जाती है तो फिर हमें खिलाड़ी के बाहर को थोड़ा और बढ़ा देना चाहिए 

जिससे खिलाड़ी के प्रदर्शन पर उसके थकान में सहनशीलता पर और वृद्धि प्राप्त कर सके जिसका संपूर्ण प्रभाव उसकी क्षमता एवं प्रदर्शन पर पड़ता है तो इसका प्रयोग हमें नियमित रूप से समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार करते रहना चाहिए 

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