स्वसन तंत्र ( Respiratory System) क्या है एवं उसके भाग


  स्वसन तंत्र ( Respiratory System) क्या है एवं उसके भाग 


ऑक्सीजन का शरीर में आना में कार्बन डाइऑक्साइड का शरीर से बाहर निकलना ही श्वसन कहलाता है 


प्रत्येक सजीव को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है यही ऑक्सीजन रक्त द्वारा शरीर को कि सभी कोशिकाओं तक पहुंच कर आवश्यक ऊर्जा पैदा करती है अर्थात रक्त के रूप में ही है ऑक्सीजन एवं आवश्यक पदार्थों को शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुंचाती है साथ ही शेष बचे अपशिष्ट पदार्थ में कार्बन डाइऑक्साइड गैस को बाहर निकालने अर्थात निष्कासन का कार्य भी करती है 



फेफड़ा  मनुष्य के श्वसन तंत्र का तत्व महत्वपूर्ण अंग  होते हैं 


फेफड़े के अंदर ही गैस  का आदान-प्रदान होता है 


फेफड़े पाचन तंत्र के अंतर्गत सभी आते हैं  जिससे  लेकर वायु ऑक्सीजन कार्बन डाइऑक्साइड गैस 

गुजरती है 



स्वसन तंत्र के मुख्य भाग


जैसे - नाक/ नासामार्ग , ग्रसनी , स्वर यंत्र , ट्रेकिया , तथा फेफड़े 



नाक/ नासामार्ग


वैसे तो नाक का मुख्य कार्य सुनने से संबंधित होता है परंतु यह स्वसन तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है क्योंकि इससे होकर ही गैस  का आदान-प्रदान होता है साथिया स्वसन लाल के द्वार का भी कार्य करती है 


नासिका छिद्र के भीतर बाल होते हैं जो धूल के कण सूक्ष्म जीवों का हमारे शरीर में प्रवेश करने से रोकते हैं नाक के अंदर श्लेष्मा झिल्ली होती है यह किसानों को गाने को शरीर में पहुंचने से रोकती है 


धूल के कंडक्टर है या अन्य सूक्ष्म जीव म्यूकस में ही चिपक कर रह जाते हैं इसके अतिरिक्त शरीर में प्रवेश करने वाली वायु भी म्यूकस के द्वारा नम रहती है 


नासिक अंतः नासा के द्वारा ग्रसनी में खुलती है 



 ग्रसनी 


यह नासा गुहा के ठीक पीछे स्थित होता है और नीचे की ओर यह ग्रसनी से संबंधित रहती है हमारे गले के अंदर ही श्वास नली एवं ग्रास नली के द्वार होते हैं जो आगे चलकर दो भागों में बढ़ जाते हैं स्वर यंत्र जिसमें वायु प्रवेश करती है ग्रास नली जिसमें भोजन अमावस्या में जाता है 



  स्वर यंत्र 


स्वसन तंत्र का वह भाग जो ग्रसनी को ट्रेकिया से जोड़ता है स्वर यंत्र कहलाता है 


वैसे तो इसका मुख्य कार्य ध्वनि उत्पन्न करना होता है किंतु इसके अतिरिक्त खासना निगलना और श्वसन मार्ग   की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी भी इस यंत्र की होती है 


लिरिक्स के प्रवेश द्वार पर एक पतला  पत्ती के समान कपाट होता है जिसे एपिग्लोटिस कहते हैं जब हम कुछ भी खाकर निकलना शुरू करते हैं तब एपिग्लोटिक द्वारा कपाट इस द्वार को बंद कर देते हैं जिससे निकला हुआ भोजन श्वास नली में ने पहुंचकर वह ग्रास नली के अंदर जाए 


बच्चे एवं स्त्री के स्वर रज्जू ज्यादा छोटे होते हैं जबकि पुरुषों में बड़े होते हैं 



ट्रेकिया 


यह वृक्ष गुहा में प्रवेश करता है 


टोकिया वृक्ष गुहा में उल्टे वृक्ष की भांति लटका रहता है 


दाई ब्रोंकियोल तीन शाखाओं मैं बट-कर  दाएं और के फेफड़ों में प्रवेश करती है 


वही बाई और की ब्रोंकियोल केवल 2 शाखाओं  में बट-कर बाय फेफड़ों में प्रवेश करती है 



फेफड़े (Lungs)


वृक्ष गुहा में 1 जोड़ी फेफड़े होते हैं जिनका रंग लाल होता है 


दया फेफड़ा बड़ा और छोटा होता है जिसमें 3 भाग होते हैं वही बाया फेफड़ा छोटा होता है जिसमें केवल 2 भाग होते हैं 


यह म्यूरल मेंब्रेन से ढका रहता है 


प्रत्येक फेफड़े में रुधिर कोशिकाओं का जाल बिछा होता है 


फेफड़ों में ही गैसों का आदान प्रदान होता है अर्थात ऑक्सीजन रुधिर में चली जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड स्वसन निष्कासन के रूप में बाहर निकल जाती है 


फेफड़ों के माध्यम से ही अशुद्ध रक्त से कार्बन डाइऑक्साइड गैस एवं अपशिष्ट पदार्थों को शरीर के बाहर निष्कासित कर दिया जाता है एवं शुद्ध रक्त को वापस हृदय की और भेज दिया जाता है


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