स्वास्थ्य एवं क्षमता में शरीर के लिए विज्ञान का योगदान


 स्वास्थ्य एवं क्षमता में शरीर के लिए विज्ञान का योगदान (Physiological concept of Health and Fitness)



शरीर क्रिया विज्ञान (Physiology ) - शरीर क्रिया विज्ञान विज्ञान की वह शाखा है जिसमें व्यायाम करते समय शरीर में होने वाले रासायनिक परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है मानव शरीर अध्ययन से हम उसके क्रियाओं तथा उसके रचनाओं का ज्ञान प्राप्त होता है


व्यायाम में रसायनिक परिवर्तन तथा उसका महत्व एवं स्वास्थ्य पर उसका प्रभाव ( Physiology of Exercises and Physiological concept of Health) 


खेल के लिए आया व्यायाम करते समय हमारे शरीर में जो रसायनिक परिवर्तन होते हैं उसके अध्ययन को ही शरीर के लिए विज्ञान कहा जाता है


शरीर क्रिया विज्ञान में होने वाले अध्ययन के माध्यम से ही हम शारीरिक उन्नति एवं प्रगति को विकसित कर सकते हैं साथ ही व्यायाम को भी प्रभावित कलात्मक रूप का बना सकते हैं  हमारे द्वारा होने वाली भिन्न-भिन्न क्रियाओं को करते समय भी हमारे शारीरिक तालमेल रहना जरूरी है मानव शरीर एक ऐसी मशीन है जिसका प्रयोग जितना अधिक करेंगे वह उतनी ही सशक्त व मजबूत बनेगी सबसे जरूरी है कि हम अपने शारीरिक गति के प्रगति को किस ढंग से वह किस प्रकार से कर रहे हैं हमें अपने शरीर का ज्ञान होना अति आवश्यक है अभी हम अपने शारीरिक कार्य क्षमता को बढ़ा सकते हैं


शरीर रचना विज्ञान द्वारा हम शरीर की रचना के बारे में ज्ञान प्राप्त करते हैं शरीर क्रिया विज्ञान द्वारा हम शरीर में होने वाले रासायनिक क्रियाओं के बारे में ज्ञान प्राप्त करते हैं


physiology of exercise व्यायाम एवं शरीर क्रिया विज्ञान


व्यायाम का सही प्रभाव हमारे शरीर पर केवल तभी पड़ेगा जब हम व्यायाम को सही प्रकार से करेंगे हमें व्यायाम का पर्याप्त ज्ञान होना जरूरी है शरीर को स्वस्थ एवं स्वच्छ बनाने के लिए रासायनिक क्रियाओं का सही प्रकार से प्रयोग करना जरूरी है


शरीर में होने वाली कुछ खास रसायनिक कर गया है निम्न है


गति  ( Movement) 


मनुष्य द्वारा अपने दैनिक कार्य मैं मुख्य चलना फिरना उठना बैठना आना-जाना वह अपने शरीर को

हिलाना डुलाना एक आम बात है जो शारीरिक गति कहलाती है



वृद्धि और विकास ( Growth & Development) 


मनुष्य के शरीर में होने वाले परिवर्तन अर्थात मनुष्य के शरीर की रचना में वृद्धि शारीरिक अंगों में परिवर्तन आदि वृद्धि कहलाती है 


वही मनुष्य द्वारा अपने जीवन के हर पढ़ाओ पर जो भी अनुभव करता है जो भी सीखता है वह उसको मानसिक विकास की ओर अग्रसर करता है अर्थात सीखने की प्रक्रिया को ही हम विकास कहते हैं


वृद्धि केवल एक सीमा तक ही संभव है जबकि विकास की प्रक्रिया लंबे समय तक चलती रहती है




सहनशीलता या अनुभव शीलता (Endurance & Sensivity)  


प्रत्येक मनुष्य द्वारा दुख, दर्द ,गर्मी ,सर्दी ,थकान, आदि को अनुभव यह सहन करने की क्षमता होती है जो एक सीमा तक ही विकसित होती है इसी कारण वंश यह मशीनों  से हमें ज्यादा प्रभावशाली बनाता है


उत्पत्ति ( Reproduction)


सभी सजीव मादा में अपने ही जैसे सजीव को अर्थात संतान को उत्पन्न करने की क्षमता होती है


- अगर मैं अपने शरीर की तुलना मशीन से करें तो हमारा शरीर मशीन से कई गुना अधिक सशक्त वह मजबूत होता है परंतु कुछ हद तक यह मशीन की ही भांति कार्य करता है जैसे की मशीन को कार्य करने के लिए भी शक्ति की आवश्यकता होती है वैसे ही शरीर को कार्य करने के लिए भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है मशीन द्वारा भी कार्य करते हुए मल पदार्थों को बाहर निकालने की क्षमता होती है

 वैसे ही शरीर में भी ऊर्जा बचे हुए मल पदार्थों को बाहर निकालने की क्षमता होती है परंतु मशीन को कुछ समय के लिए बंद कर सकते हैं लेकिन मानव शरीर को कार्य करने के लिए आवश्यक जानिया उड़ जा के हमें साल लगातार आवश्यकता पड़ती है


जिस तरह मशीन के मेंटेनेंस ना करने पर वह खराब हो जाती है उसी तरह शरीर को भी स्वच्छ व स्वस्थ रखना बहुत जरूरी होता है अन्यथा वह रोगी हो जाता है 


मानव शरीर में बुद्धि एवं विकास होता रहता है मानव शरीर में सोचने में समझने की क्षमता होती है मानव शरीर आने वाले हर क्यों मैं भी करने की क्षमता रखता है शरीर में उत्पत्ति का गुण होता है सभी गुण हमें रसायनिक तत्वों के कारण ही प्राप्त होते हैं







 







    

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

If you have any doubts, please let me know